This is an illustrated Hindi e-book containing the story of the cat and the dog. The translated Hindi story is as follows:
एक समय की बात है कि एक बिल्ली फर की खाल का व्यापार करती थी और एक कुत्ते के पास अपने सिर पर पहनने के लिए टोपी नहीं थी। सर्द ऋतु के मौसम में कुत्ता किसी जगह से मेमने की खाल प्राप्त करने में कामयाब हो गया।
एक दिन सर्दी के मौसम में सवेर समय बो अपनी फर लेकर बिल्ली के घर गया और जाकर उसे शुभ सवेर कही। उसने बिल्ली को देखकर कहा, “मेरा सिर बहुत ठंडी महसूस कर रहा है। अल्लाह आपका भला करे,
तुम मेरे से यह फर लेकर मेरा सिर ढकने के लिए एक टोपी सी दो जो मेरे सिर पर पूरी तरह ठीक बैठती हो। मैं वचन देता हूँ कि तुम्हें इस बदले में दाम दूँगा। तुम्हे इस टोपी को सीकर देने में देरी नहीं करनी है।’’
बिल्ली ने कुत्ते का स्वागत करके कहा, “मेरे प्रिय चाचा जी मैं यह काम खुशी से करूंगी यह तो सिर्फ टोपी सीने की बात है कौनसी कोट की सिलाई करनी है। मैं यह टोपी गुरुवार तक तैयार कर दूॅगी।
आपको इसके बदले में पैसे देने की बात करने की जरूरत नहीं है। मैं यह सुनकर आहत हो जाती हूँ।
यह पैसे के लेने देने की बात आप और मेरे बीच है। यह कोई बड़ी बात नहीं है। इस टोपी की सिलाई की कीमत तो एक कप चाय की कीमत के समान है। इसलिए आप सिलाई के दाम देने की बात मत करो।’’
बिल्ली ने जो टोपी सी कर देने का समय तय किया था कुत्ता गुरुवार को सवेर समय अपनी फर की टोपी लेने बिल्ली के दरवाजे पे पहुंचा।
वो नहीं चाहता था की निर्धारित समय में कोई देरी हो। वो गंभीर नजर आ रहा था। कुत्ते ने आवाज दी “मालक कहां है मेरी फर की टोपी कहां है?’’
थोड़ी देर इंतजार करो जल्दी ही बिल्ली यहां पहुंच जाएगी।
कुछ पल बाद फर की खाल का कोट पहन कर बिल्ली वहां आ गई। कुत्ते को देखकर बिल्ली ने अपनी मूछों के नीचे से बड़बड कर ऊँचे स्वर में गरजना करती बोली,
“बेसबरे व्यक्ति आपको लोगों से कोई अलग ही सर्दी लग रही है, क्या तुम मुझे चैन से स्वास भी नहीं लेने दोगे। तुम इतना जल्दी टोपी तैयार होने के बारे कैसे सोच सकता है? क्या टोपी बनाना कोई आसान काम है? मैंने तो अभी फर पानी में भिगोई है। ता कि इसकी सिलाई की जा सके।’’
कुत्ते ने कहा, “ठीक है जो मेरे नसीब में लिखा है। लेकिन तुम बताओ तुम इतने गुस्से में क्यों बात कर रही हो। मैं तुम्हें टोपी जल्दी बना कर देने के दाम दूंगा।
अगर आपने आज इसकी सिलाई नहीं की तो मैं कल आ जाऊँगा। तुम मेरे को वचन दो कि कल मुझे यह टोपी की सिलाई कर दे दोगी और एक बात कि तुम इस तरह ऊँची आवाज में मेरे साथ बात नहीं करोगी। अब तुम केवल बातें ही करोगी या काम भी करोगी। अब मैं यहां कितनी देर टोपी प्राप्त करने के चक्कर काटूंगा।’’ कुत्ते ने बिल्ली को अपना गुस्सा दिखाया और नंगे सिर वापिस अपने घर चला गया।
अगले दिन कुत्ता दोबारा बिल्ली के पास टोपी लेने आया। अभी तक टोपी सिल कर तैयार नहीं थी। दोनों में ठन गई और वो एक दूसरे को बुरा भला कहने लगे। उन्होंने एक दूसरे की शान के खिलाफ गलत शब्दावली का प्रयोग किया। कुत्ते ने बिल्ली को चोर कहा और बिल्ली ने कुत्ते को गंजा कहा।
झगड़ा करने दोनों एक दूसरे के माता पिता का नाम लेकर गाली बकने लगे और यह मामला जज के पास जाकर निपटा । बिल्ली का दिवाला निकल गया और एक रात उसने शहर छोड़ने का मन बना लिया। सभी की नजरो में बच कर बिल्ली शहर छोड़ कर भाग गई।
उस समय से लेकर अब तक कुत्ता अपना अधिकार लेना नहीं भूला, वो जब ही बिल्ली को देखता है तो उसे अपनी फर याद आ जाती है।
वो बिल्ली को गुस्से से मारना चाहता है उसके पीछे मारने को दौड़ता है और अपनी फर की वापसी की मांग करता है। जब कि बेशर्म बिल्ली अचानक छलांग लगाती हैं और गुस्से में आकर कुत्ते पर अपना थूक फेंकती है, जैसे कह रही हो कि तुम्हारी टोपी सीने के लिए मैंने अभी अभी फर ऊपर पानी की बुछाड मारी है।
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