The story of Golden Fish in Hindi is as follows - Title (सुनहरी मछली) :
एक समय एक मछेरा अपने एकलोते बेटे के साथ समुद्र के किनारे पर रहता था। वह बहुत निर्धन था। उनके पास एक पुरानी नौका और एक मछली पकड़ने वाला जाल था। नौजवान पुत्र हर समय गीत गुनगुनाता हुआ अपने बूढ़े बाप की मदद के लिए तैयार रहता था।
पिता अपने पुत्र के साथ हर रोज मछली पकड़ने जाता था। एक दिन जब वह मछली पकड़ने समुन्द्र मे जाल फेंक रहा था तब उसने एक अजीब मछली जिसका रंग सुनहरी था अपने जाल में फंसी पाई।
पिता ने हैरान होते हुए अपने पुत्र से कहा, ‘‘यह एक चमत्कारी मछली है। तुम इसका ध्यान करो। मैं इस की सूचना खान को देने जा रहा हूँ। शायद वो मछली देखकर हमें कोई बड़ा ईनाम दे’’। यह कह कर बूढ़ा खान के पास थके कदमो से चला।
नौजवान पुत्र से वह सुनहरी जीव जाल में तड़पता हुआ देख ना गया। उसने उस मछली पे दया करके पानी में छोड़ दिया। वह मछली पलक झपकते ही पानी में आखों से ओझल हो गई।
खान अपने घोड़े पर सवार होकर अपने अंगरक्षकों के साथ वहां आया और पूछा कि वह चमतकारी मछली कहां हे।
उस नौजवान ने खान से कहा कि उस अजीब मछली को उसने पानी में अजाद कर दिया है।
खान बूढ़े पर क्रोध करके वोला, ‘‘मनहूस बूढ़े, तूने मेरी शाही नींद में विधन डाला है और तुम्हारे इस कंबखत पुत्र ने मुझे परेशान किया है। आज तक कभी भी किसी ने ऐसी मछली नहीं देखी है।’’
खान के वज़ीर ने अपनी लंबी दाड़ी जो धरती को छूहती थी, ऊपर उठाते हुए कहा, ‘‘मेरी उमर सौ वर्ष हो चुकी है। मैंने कभी भी ऐसे चमतकार के बारे में नहीं सुना है।’’
बूढ़े मछुए ने खान से अपनी बात पे यकीन करने की बिनती की। परंतु खान है कि मानता ही नहीं। बह बूढ़े की बातो से संतुष्ट नहीं था। जब बूढ़ा खान को पूरे घटना क्रम के बारे में बता रहा था तब खान और भी गुस्से में आ गया।
उसने अपने नौकरों को हुकम दिया कि इस झूठे पुत्र के हाथ पांव बांध कर इसकी पुरानी नौका के साथ समुन्द्र में फेंक दिया जाए। बूढ़े ने बिनती की, नौकरो ने हुकम की पालना कर के उसे समुन्द्र में फेंक दिया। यह देख कर खान अपने महलों को चला गया। बूढ़ा वहां अकेला अपने नौजवान इकलोते पुत्र को लहरों के झांको से खींचते हुए देख रहा था। समुन्द्र का पानी उसके पुत्र को खींच कर दूर ले जा रहा था। वह नहीं समझ रहा था कि क्या करे। उसको अपने प्रिय पुत्र की जान बचाने का कोई भी तरीका नहीं मिल रहा था। वह मन में अति दुखी था। रो रहा था और खान को बददुआएं दे रहा था। जब उसे किश्ती नजर नहीं आई वह धड़ाम से जमीन पर गिर गया।
नौजवान मछेरा किश्ती में पड़ा सोच रहा था कि उसका जीवन लंबा नहीं है। क्यांकि समुन्द्र की लहरें उसे बहुत दूर ले जा चुकी है।
अंत में यह किश्ती पानी के बहाव से एक द्वीप पर चली गई और समुन्द्र के रेतीले किनारे पर टिक गई। उस किनारे पर एक नौजवान पेड़ के पीछे से किश्ती के पास आया और उसने हमशक्ल नौजवान को देखा । उस नौजवान की शक्ल सूरत बूढ़े के पुत्र से मिलती थी।
उसने मछेरे के हाथ पांव खोल दिए और दोनों हमशक्ल गर्मजोशी से एक दूसरे को मिले। उस मछुए ने उसकी सहायता बदले धन्यवाद दिया। फिर उस दिलदार व्यक्ति ने अपने बैग से केक निकालकर दो हिस्से किए और आधा उस बूढ़े के पुत्र को दे दिया। वह दोनों मित्र बन गए और सगे भाईयों की तरह रहने लगे।
एक दिन की बात है कि वह दोनों टापू पर घूम रहे थे तब उन्हें एक आजडी मिला ।
वह नहीं जानते थे कि उनके सिवा इस भूखंड पर कोई और आदमी भी रहता है। उस बूढ़े चरावाहे को देखकर वह बहुत खुश हुए और उसके पास गए। उस आजड़ी ने उन्हें एक कहानी सुनाई।
इस द्वीप पर तीन दिन चलते आप उस देश में पहुंच जाएंगे यहां का खान बहुत दुखी रहा है। उसके एक बहुत सुन्दर कन्या है जो उसकी इकलौती संतान है। दुख की बात यह है कि उसने आज तक एक भी शब्द नहीं बोला। अमीर खान ने घोषणा की है कि जो उसकी नौजवान बेटी का इलाज करेगा वह उसे इनाम में बडी रकम देगा। अगर वह उपचारक ईलाज में असफल रहता है तो उसका सिर काट दिया जाएगा। बहुत हकीम वहां इलाज करने के लिए आए परंतु अपनी जान से हाथ धो बैठे ।
दोनों मित्र चरवाहे की कहानी सुनकर प्रसन्न हुए और फैसला किया कि यहां अपनी किस्मत आजमाई की जाए। महल के दरवाजे के समीप पहुंचकर उस नौजवान ने मछेरे को बोला कि पहले मैं प्रयत्न करूंगा अगर सफल रहा तो ईनामी राशी आधी आधी बांट लेंगें।
मछेरा इस सुझाव से सहमत हो गया और महल के अंदर चला गया। महल में प्रवेश द्वार पर दो संचिकाओं ने असका स्वागत किया और चेतावनी दी कि उससे पहले खान की पुत्री के उपचार के लिए कई सुन्दर नौजवान आए सफल नहीं हुए और अपनी जान से हाथ धो बैठे। कहीं आप के साथ भी बैसा न हो।
वह साहसी नौजवान राजकुमारी के कमरे में चला गया। उसने अपनी जान की परवाह नहीं की उसने अदब के साथ राजकुमारी से विनम्रता सहित विनती की कि वह उसकी कहानी सुने। वह बोला कि ’’मेरे पिता के तीन पुत्र है एक दिन हम सभी जंगल में लकड़ी काटने गए। मेरे सबसे बडे भाई ने एक शाखा काटी और उस शाखा से एक अदभुत पक्षी बनाया जो जीवत प्रतीत होता था। फिर दूसरे भाई वन में जाकर एक खास किस्म के पंख लेकर आया और उस पक्षी के लगा दिए। वह पक्षी उस से भी आकर्षक दिखने लगा। बहार के मौसम की सुन्दर सवेर थी। मैंने फैसला किया कि इस पक्षी को शुद्ध पानी से नहलाया जाए। जब मैं उसे स्नान करा रहा था अचानक वह पक्षी जीवित हो उठा और गीत गाता हुआ आसमान में उड़ गया।
उस समय से हम तीनो भाई झगड़ रहें है कि यह पक्षी किसका है। अब मैं यह फैसला कराने के लिए आपके पास आया हूॅ कि उस पक्षी पर किसका अधिकार है।
नौजवान राजकुमारी उठकर बैठ गई और अपनी पलकें झपकने लगी। उसके होंठो पर मुस्कराहट आ गई परंतु वह कुछ भी नहीं बोली। उसने अपनी एक अंगुली उठाई और अपने होठों के ऊपर रखकर अपना सिर हिलाया।
वह नौजवान गुस्से में आकर बोला कि अगर मुझे तुम्हारे कारण मरना है तो पहले मैं तुम्हारे सिर को काट दूँगा। मुझे तो मरना ही है।
राजकुमारी यह धमकी सुनकर डर गई और बेहोश होकर भूमि पर गिर पड़ी। उसके मुख से एक सफेद सांप रेंगता हुआ बाहर निकला जिसको नौजवान ने अपने पांव से कुचल दिया। राजकुमारी की आंखें आसुओं से नम हो गई और उस ने अपनी एक अंगूठी उतार कर उसको थमा दी और कहा कि मेरे पिता जी के पास जाकर अपना ईनाम ले लो।
वह नौजवान अंगूठी लेकर अपने मित्र के पास गया और अंगूठी उसे थमा कर बोला कि जाओ अंदर जाकर राजा से अपना ईनाम ले लो।
उस नौजवान ने आगे कहा कि मैं ही वह सुनहरी मछली थी जो तुम्हारे जाल में फंस गई थी। तूने मेरे उपर उपकार करके मुझे छोड दिया। जब तुम काम करते समय अपने गीत गुनगुनाते थे उस गीत की धुन मेरे पिता जो समुद्र के राजा है उन तक पहुंची थी। एक दिन मैं तुम्हारे गीत सुनने के लिए पिता की आज्ञा पाकर पानी की सतह पर गया। गीत में ऐसा मगन हुआ की आपके जाल में फंस गया।जब तुम्हें समुद्र में फेंका गया तब मैंने अपनी साथी मछलियों के साथ तुम्हारी नौका को उठा कर इस द्वीप में ले आए। वहां मैं तुम्हारी शक्ल धारण करे उडीक कर रहा था समय व्यतीत होता गया। मुझे पता चला कि तुम एक दयालु इंसान हो अब मेरा वापिस अपने घर जाने का समय आ गया है। तुम अंगूठी लेकर राजा से अपना ईनाम प्राप्त करो।
अगर कभी भी तुम्हें मेरी जरूरत महसूस हुई तब समुद्र के तट पर जाकर तीन बार नाम पुकारने से मैं आपके पास तत्काल आ जाऊंगा। यह शब्द बोलते ही वह सुनहरी मछली में तब्दील हो गया और समुद्र में प्रवेश कर के अलोप हो गया।
मछेरा उसे देर तक देखता रहा। फिर उदास मन लेकर और अपने दोस्त के अलग होने के गम में व्यलीन होकर महल की तरफ चला।
उस नौजवान का महल में खुद बूढ़े खान ने स्वागत किया और बोला, ‘‘आज मैं अपने जीवन का अमुल्य खजाना अपनी इकलौती प्यारी पुत्री आपको पत्नी के रूप में सौंप रहा हूँ। भगवान करे आप हमेशा खुश रहें।’’
अगला दिन शादी का दिन तय हुआ। नौजवान को सोने की तार से बने कपड़े पहनाए गए। शादी मंडप सज कर तैयार था। सुन्दर कपड़े पहन कर महमान पधार रहे थे। छतीस प्रकार के व्यंजन तैयार किये गए। मधुर संगीत चल रहा था। हर तरफ हर्ष उल्लास का माहौल था।
अपने पति को शोकाकुल देखकर राजकुमारी ने उससे उदासी का कारण पूछा। नौजवान ने बताया, ‘‘महल में मुझे सभी प्रकार के सुख मिल रहे है। यहां बेचैनी की कोई बात नहीं है। मैं तुम्हें कैसे बताऊं कि मुझे क्या दूख है।’’ राजकुमारी ने आग्रह पर उसने बताया कि मैं बिना काम के रहने का आदि नहीं हूँ और ना ही आराम परस्त हूँ। मेरे हाथ हमेशा किसी न किसी काम में व्यस्त रहते है। इसलिए मेरे काम करने की आदत मुझे बेचैन कर रही है।
वह बोला कि मै समुद्र तट पर रेत के ऊपर पल कर बड़ा हुआ हूँ। मेरे बूढ़े पिता जिनको मैं बहुत प्यार करता हूँ वहीं झोपड़ी में अकेले रहते है। उमर के हिसाब से उन्हें कभी भी मृत्यु आ सकती है। अगर आप मेरे साथ मेरे पिता के घर जाए तो मैं अति अधिक प्रसन्न हूॅगा। मैं आपको बताना चाहता हूँ कि वहां यह वैभव का जीवन नहीं है कोई नौकर नहीं है और तुम्हें एक गरीब मछुआरे की पत्नी की तरह रहना होगा।
राजकुमारी ने कहा, ‘‘तुम्हारी खुशी में मेरी खुशी है और मैं तुम्हें कैसे खुश कर सकती हूँ मैं तैयार हूँ। मुझे शंका है हम समुद्र पार कैसे करेंगे।’’ नौजवान ने राजकुमारी से कहा कि तुम सफर की तैयारी करो, मैं इसका कोई तरीका ढूंढता हूँ। वह समुद्र तट पर गया और अपने मित्र का तीन बार नाम पुकारा। एक सुनहरी मछली आई और कहा, ‘‘मेरे प्रिय मित्र मैं आपकी क्या मदद करू?
वह बोला उसे अपने पिता और घर की याद सता रही है। वह अपने घर जाना चाहता है। पर हमारे पास कोई किश्ती या जहाज नहीं है। एक पुरानी किश्ती थी जो पानी में डूब गई।’’
आपकी इच्छा पूर्ण होगी। रात्रि समय मैं दानव आकार मछली आपके पास भेजूंगा। आप उसके मुख में प्रवेश करना । सुबह तक आप अपने घर पहुंच जाओगे।
नौजवान डर कर बोला कहीं वह मछली हमें निगल तो नहीं लेगी। ‘‘मित्र उससे डरना मत, वह डरावनी है पर बहुत दयालु है। मैं आपके मंगलम सफर की कामना करता हूँ।’’ यह कह कर वह सुनहरी मछली पानी में अलोप हो गई।
रात्रि समय नौजवान और राजकुमारी ने समुद्र में तूफान देखा और एक दानव आकार मछली के मुख से और सर के ऊपर के छिद्र से पानी की बौछार देखी। जब उसने अपनी पूंछ हिलाई तब समुद्र के पानी में सैलाब आ गया।
राजकुमारी मछली को देखकर डर गई और कांपने लगी। उसका पती उसका हाथ पकड़ कर मछली के मुख में प्रवेश कर गया। मछली ने अपना मुंह बंद कर लिया और समुन्द्र में तैरने लगी। उसकी आरामदायक हिलजुल से वह दोनों निद्रा अवस्था में आ गए।
जब सवेर हुई तब तक वह समुद्र के उस पर आ गए थे।
दानव आकार मछली ने अपना मुंह खोला और सूर्यदेव की किरने नौजवान जोडे के उपर पड़ी। वह जाग गए। जब उसने अपनी पलके झपकी उसे अपना देश, अपना घर, अपनी झोंपड़ी नजर आई। उसे अपने बचपन की सभी यादे आ गई। कैसे वह इस शांत किनारे का आनंद बिहार करता था। वह दोनों अपनी झोंपडी की तरफ गए वहां उन्हें अपना बूढ़ा पिता उदास बैठा नजर आया। नौजवान मछुआ बहुत खुश था कि वह अपनी पत्नी के साथ अपने पैत्रिक घर में आ गया है। जिस घर को वह बहुत प्यार करता था ।
उसने अपने पिता को गलवकड़ी पाई और अपनी पत्नी से उसकी पहचान कराई।
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