The Tale of Peter Rabbit in Hindi ( पीटर खरगोश की कहानी )

Beatrix Potter ( बीट्रिक्स पॉटर )

Reading Level: 2-3



Book Description

The Tale of Peter Rabbit by Beatrix Potter in Hindi. पीटर रैबिट ( खरगोश ) की कहानी एक बच्चों की किताब है जो बीट्रिक्स मैट्रिक्स द्वारा लिखित और सचित्र है जो शरारती और अवज्ञाकारी युवा पीटर रैबिट के रूप में उसका अनुसरण करता है, और श्री मैकग्रेगर के बगीचे के बारे में पीछा किया जाता है। वह भागता है और अपनी मां के घर लौटता है, जो उसे कैमोमाइल चाय की पेशकश करने के बाद बिस्तर पर डाल देती है। यह कहानी 1893 में पॉटर के पूर्व गवर्नर एनी कार्टर मूर के बेटे पांच वर्षीय नोएल मूर के लिए लिखी गई थी। पीटर रैबिट एक सदी से अधिक समय से बच्चों के बीच लोकप्रिय बने हुए हैं और उन्हें नए पुस्तक संस्करणों, टेलीविजन के माध्यम से अनुकूलित और विस्तारित किया जा रहा है। The story is as follows:

पीटर खरगोश की कहानी

बहुत समय पहले की बात है कि मोती जोती भोलू और पीटर नाम के छोटे छोटे खरगोश अपनी मां के साथ रहते थे। एक बड़े देवदार के वृक्ष की जड़ो में स्थित एक टीले को खोदकर उन्होंने अपना घर बनाया हुआ था। वहां वह सभी बड़े आराम से रहते थे। एक दिन उन की बूढ़ी मां ने उन को कहा, ’’प्यारे बच्चो आप ने भूल कर भी कभी भीमेशाह के बाग में नहीं जाना। वहां आपके पिता से एक दुर्घटना घट गई थी। भीमेशाह की पत्नी ने तुम्हारे पिता को एक पिंजरे में बंद कर लिया था। दूसरे खेतों में अथवा गली में कहीं भी यहां आप का मन करे आप खेल सकते हो।

तब मां बोली, ’’मैं बाहर जा रही हूॅ। तुम खेलों परन्तु कोई शरारत नहीं करनी।’’ इतना कह कर वह अपना छाता और टोकरी उठा कर बाहर चली गई। वो जंगल से गुजर कर बेकर की दुकान पे गई। वहां से उस ने डकलरोटी और सूखे अंगूरो के बने पांच केक खरीदे। मां के जाने के पश्चात् मोती जोती और भोलू जो बहुत शरीफ बच्चे थे, नीचे गली में फल खाने के लिए चले गए। परन्तु पीटर जो बहुत शरारती था, सीधा भीमेशाह के बाग की तरफ दौड़ा। दरबाजे के नीचे से घिसड कर वह अन्दर बाग में चला गया।

पहले उस ने हरा हरा सलाद खायां इस के पश्चात् राजमांह की फली और गाजर । यह सब खा कर जब उस का मन भर गया तो वह खीरे की तलाश में इधर उधर घूमने लगा। जब वह खीरे की बेल के पास गया तो उसे भीमेशाह दिखाई पड़ा। भीमेशाह घुटनों के बल बैठ कर गोभी की पनीरी लगा रहा था। पीटर को देखते ही उस ने छलांग लगाई। तेजी से तंगली को हाथ में घुमाता हुआ वह पीटर की ओर दोड़ा और उच्ची आवाज में ललकार कर बोला, ’’अरे चोर ठहर जा, अब भाग मत।’’

पीटर बुरी तरह से डर गया और डर के कारण बाहर जाने का रास्ता भी भूल गया। रास्ते की तलाश में वो बाग में इधर उधर दौड़ने लगा। भागते भागते उस का एक जूता गोभी की क्यारी में गिर गया। दूसरा आलू की क्यारी में जूतो की चिन्ता करे बगैर वह पूरे जोर से वहां से भागा। आगे जा कर अंगूरों की बेल में उस की जैकेट के बटन अटक गए। यह नीले रंग की सुनहरी बटनों वाली उस की बिल्कुल नई जैकेट थी। उस ने पूरे जोर से झटके के साथ अपने आप को जैकेट से छुडाया और भागने लगा। कुछ देर तेजी से दौडने के पश्चात् एक झााडी के पास जा कर उस ने सांस ली।

अब पीटर को लगा कि वह गुम हो चुका है। यह सोचकर बड़े बड़े आंसू उस की आंखो से बहने लगे वो सिसक सिसक कर रोने लगा। कुछ चिड़ीयां हैरान हो कर उस के पास आई परन्तु उन्होनें भी उसे चुप नहीं कराया। चिडीयों को लगा पीटर बहुत ज्यादा थक जाने के कारण रो रहा है।

इतने में भीमेंशाह हाथ में बड़ी सी छाननी पकड़े भागता हुआ वहां आया। उस ने जोर से छाननी पीटर के उपर फेंकी। पीटर वहां से बच कर निकल गया परन्तु उस की जैकेट छाननी में अटक कर वहीं रह गई। पीटर भाग कर औज़ारों वाले कोठे में चला गया और वहां पड़े मटके में छलांग लगा दी। यह मटका छुपने के लिए अच्छी जगह था परन्तु इस मंे पानी था।

भीमेशाह को पूरा यकीन था कि पीटर औजारों वाले कोठे में ही कहीं पे छुपा हुआ है। वह हर गमले को हिला हिला कर ढूंढने लगा।

इतने को पीटर ने जोर से छींक मारी और हिश श.श.श. की आवाज चारों तरफ गूँज गई । पलक झपकते ही भीमेशाह उस के पीछे भागा। वह उस को उस के उपर पैर रख कर और दबा कर ही उसे मार देना चाहता था। लेकिन पीटर उस से बचकर साहमने खिड़की में से छलांग लगा कर बाहर निकल गया। यह खिड़की इतनी छोटी थी कि भीमेशाह इस में से बाहर नहीं जा सकता था। वह पीटर के पीछे भाग भाग कर थक भी चुका था। इस लिए वापिस जा कर अपना काम करने लगा।

पीटर की सांस भागते रहते के कारण बहुत तेज चल रही थी और डर के मारे वह कांप रहा था। वो कुछ देर बैठ कर सोचने लगा। परन्तु बाग से बाहर जाने का अब तक उस को कुछ पता नहीं चल रहा था।

वह पानी के मटके में बैठने के कारण गीला भी हो गया था। इस से उस को बेचैनी भी हो रही थी। कुछ देर पश्चात् धीरे धीरे कदमों से इधर उधर चलता और देखता हुआ वह घूमने लगा।

अचानक उसे साहमने दीवार पे दरबाजा दिखाई दिया। लेकिन उस को ताला लगा हुआ था। उस जैसा मोटा खरगोश उस के नीचे से घिसर कर बाहर नहीं जा सकता था।

वहां एक पत्थर के पास एक बूढ़ी चूहिया बार बार आ, जा रही थी। वह जंगल में रह रहे अपने परिवार के लिए मटर और फलीएं ले कर जा रही थी। परन्तु उस के मुंह में एक बड़ा मटर का दाना था। पीटर ने उसे दरबाजे की ओर जा रहे रास्ते के बारे में उस से पूछा। परन्तु मुंह में बड़ा मटर का दाना होने के कारण वह बोल न सकी और सर हिला कर ही नहीं में उत्तर दिया। अब पीटर ऊँची ऊँची रोने लगा।

तब उस ने फिर से बाग में जा कर रास्ता ढूंढने की कोशिश की। पर जैसे जैसे वह भागता रहा वह और दुखी हो गया। तब वह चलता चलता एक तालाब के पास आया। उसे याद आया कि यहां से ही भीमेशाह ने पानी के मटके भरे थे। इस तालाब के पास एक सफेद बिल्ली बिल्कुल अहिल एक सुनहरी मछली की ओर टिकटिकी लगा कर बैठी थी। कभी कभी उस की पूंछ ही हिलती दिखाई देती थी जिस से पता चलता था कि वह जिन्दा है। उस से उस ने बाग से बाहर जाने के रास्ते के बारे में पूछना ठीक नहीं समझा क्योंकि एक बार उस ने चचरे भाई ने बिल्लीयों के बुरे स्वभाव के बारे में बताया था।

वह दूसरी बार औजारों के कोठे की ओर चला गया। अचानक उसे अपने बहुत नजदीक चिरड चिरड की आवाज सुनाई दी। वो झाड़ी के पीछे छुप गया। जब कुछ देर पश्चात् देखने उपरान्त उसे पता चला कि आस पास कुछ नहीं है तो वह झाड़ी से बाहर निकला। वोह वहां पड़ी एक रेहड़ी पर चढ गया। यहां से उसने चारों तरफ देखा। पहली नजर में ही उसे भीमेशाह प्याज की क्यारी में काम करता दिखाई दिया। पीटर की ओर उस की पीठ थी और उस के बिल्कुल साहमने दरबाजा था।

पीटर बगैर आवाज किए रेहड़ी से उतरा। काले अंगूरों के पीछे से हो कर दरबाजे की ओर बिजली की तेजी से भागा। भीमेशाह ने एक कोने से उसे देख लिया था। लेकिन अब उस को बिल्कुल परवाह नहीं थी। वह दरबाजे से बाहर खिसक गया। अब वह पूरी तरह सुरक्षित था।

भीमेशाह ने उस की जैकेट और जूतों से एक पुतला बना कर पंछीयों को डराने के लिए बाग में लगा दिया था। पीटर बगैर पीछे देखे उतनी देर भागता रहा जब तक वह देवदार के वृक्ष के नीचे बने अपने घर में न पहुँच गयां पीटर इतना थक गया था कि घर जा कर रेत के नरम मुलायम फर्श पर टांगे पसार कर और आंखे बद कर चुपचाप लेट गया। उस की मां रसोई में खाना बनाने में लगी थी। वह हैरान थी कि वह अपने कपड़े कहां गुम कर आया है। उसने एक दिन में दो बार अपने कपड़े और जूते गुम कर लिए थे।

उस की मां ने कहा, ’’मेरे को लगता है आज पीटर ठीक नहीं है।’’ इस लिए उसने उसे बिस्तर पर लेटा दिया। उसने दो चमच चाय के बना कर पीटर को दिये। सोने के समय इतनी सी चाय की ही जरूरत होती हैं। मोती जोती और भोलू को उस ने रात के खाने में डवलरोटी, दूध और काले अंगूर खाने को दिये।







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